How to prevent Anal Fissure? फिशर से कैसे बचें?

How check up is done in piles fistula fissure diseases? Is it painful?
Piles in pregnancy; How to get rid? Prevention and treatment for piles in pregnancy

फ़िशर से कैसे बचें? How to prevent fissure and anal pain?

Dr Naveen Chauhan

 

डॉ नवीन चौहान, वरिष्ठ आयुर्वेद गुदा रोग विशेषज्ञ सर्जन
श्री धन्वन्तरि क्लिनिक, ग़ाज़ियाबाद

What is anal fissure?

फिशर (Anal fissure) में गुदा मार्ग की भीतरी सतह चिर जाती है जिससे मलत्याग के समय दर्द होता है। यह फ़िशर या गुदचीर का सामान्य लक्षण होता है।

ऐसा फिशर जो नया बना हो वह तीव्र या एक्यूट फिशर कहलाता है। यदि फिशर गहरा हो और उसे बने हुए 8 हफ्ते से अधिक का समय हो गया हो तो वह क्रॉनिक फिशर कहलाता है

एक्यूट फिशर भोजन संबंधित वह लाइफस्टाइल संबंधित आदतों को बदलने वह कुछ साधारण उपाय द्वारा ठीक किया जा सकता है जबकि क्रॉनिक फिशर में क्षार सूत्र चिकित्सा या शल्य चिकित्सा सर्जरी की आवश्यकता होती है।

आज हम कुछ घऱेलू उपायों के बारे में विचार करेंगे, जो आपको फिशर और उससे होने वाले दर्द से राहत दिलाने में पूर्णतः सहायता करेंगे।

फिशर के कारण Causes of anal fissure

कब्ज , कठिन मलत्याग फिशर होने का पहला कारण है। कब्ज पर नियंत्रण ना केवल फिशर को बनने से रोक सकता है बल्कि फिशर के इलाज में भी बहुत सहायक है। कब्ज के लिए बाजार में मिलने वाली दवाइयों का सेवन आँतो के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अतः हम सलाह देते हैं कि कब्ज के लिए आप केवल भोजन संबंधित आदतों में ही बदलाव कर उसे ठीक करें किसी भी प्रकार की दवा पर निर्भर ना रहें।

फ़िशर से बचाव के उपाय Fissure prevention tips

यह घरेलू उपाय आपको कब्ज ,कठिन मलत्याग से भी राहत देंगे।

चोकर युक्त गेहूं के आटे का प्रयोग

गेहूं की भूसी जिसे चोकर भी कहते हैं, में डाइटरी फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें अन्य पोषक तत्व जैसे विटामिन बी कॉन्प्लेक्स व मिनरल्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। अतः घर में रोटी बनाने के लिए चोकर युक्त गेहूं के आटे का प्रयोग काफी लाभदायक होता है। इससे पाचन तंत्र अच्छा रहता है वह कब्ज़, फिशर, बवासीर आदि होने की संभावना भी कम से कम होती है। यदि किसी को यह समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, तो उसे ठीक करने में भी यह काफी लाभदायक है।

रोजना तरल पदार्थ का सेवन करें; जैसे- सूप, दूध ,सब्जी व फलों का जूस आदि सेवन करें, लेकिन चाय कॉफी का सेवन वर्जित है।

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कब्ज़, बवासीर और गुदा चीर के लिए किसमिस या मुनक्का का सेवन करें। 

सूखे हुए अँगुर के फलो को किसमिस कहते है। इनके अंदर डाइटरी फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। 20 से 30 किसमिस या मुनक्का के को गुनगुने दूध में दो घंटे के लिए भिगो कर छोड़ देना, उसके बाद रात को सोते समय इस दूध का किसमिस सहित सेवन करना है। यह आपको कब्ज से राहत देगा और आँतो  की गति को सामान्य बनाए रखेगा।

नोट – शुगर के रोगियों के लिए मुनक्का या किशमिश सेवन वर्जित है। 

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कब्ज , बवासीर और फिशर में एलोवेरा के जूस का सेवन

घृतकुमारी या एलोवेरा के पत्ते के टुकड़े को छीलकर खाने से पाचन तंत्र बेहतर होता है यह लीवर के लिए भी टॉनिक का कार्य करता है तथा इसमें मौजूद बैटरी फाइबर्स हाथों को गति प्रदान करते हैं एलोवेरा का जूस भी 20 से 30 एमएम मात्रा में खाली पेट पिया जा सकता है।papaya

 

कब्ज ,बवासीर और गुदा चीर क लिए पपीते का सेवन

पका हुआ पपीते का फल खाने से आपका पाचन तन्तर मजबूत होगा और आपको कठिन मलत्याग से भी राहत देगा पपीते को हम रोजआना सलाद में उसके ऊपर थोड़ा कला नमक डाल कर खा सकते है

 

 

 

guava fruitकब्ज , बवासीर और फ़िशर के लिए बीज रहित अमरुद का सेवन

अमरुद के अंदर विटामिन C और फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है
जो आपके पाचन तन्तर को मजबूत बनता है और मलत्याग भी आसानी से होता है
अमरुद पका हुआ होना चाहिय और यदि सम्भव हो सके तो उसके बीजो को भार निकल कर सेवन करे

कब्ज, फ़िशर और बवासीर में हरी सब्जी का सेवन

जैसे पत्ता गोभी ,मूली ,पालक,और मिश्रित सब्जी बथवा भिन्डी,गाजर,शलजम चुकुन्दर,में खाने वाले fibers के मात्रा बहुत होती है इनका मौसम अनुसार सेवन करना चाहिये।

 

फ़िशर, buttermilkकब्ज, बवासीर और अच्छे पाचन तंत्र के लिए मठ्ठे का सेवन

मठ्ठा पाचन तंत्र क लिए सबसे अच्छा पेय है। मठ्ठे के बारे में आयुर्वेद शास्त्र में भी विस्तार से वर्णन है। आयुर्वेद में मट्ठे को तक्र कहा जाता है बवासीर (piles) ,गुदचीर, कब्ज और इससे सम्बंधित रोगो में मठ्ठा अचूक औषधि है। लेकिन मट्ठे का सेवन दिन के समय में ही करना चाहिये। रात में दही या मट्ठे का सेवन पाचन तंत्र पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है अतः रात में इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
मट्ठे में थोड़ा काला नमक, जीरा व काली मिर्च डालकर पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
मट्ठे की प्रोसेसिंग करके आयुर्वेद शास्त्र में तक्रारिस्ट नाम की दवा बनाने का वर्णन मिलता है जो पाइल्स के इलाज में काफी लाभदायक होता है। इसका सेवन आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देश के अनुसार ही करना चाहिए।

 

 

isabgol huskबवासीर, गुदचीर और कब्ज में इशबगोल की भूसी का सेवन

इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है। ईसबगोल की भूसी में डाइटरी फाइबर वह सेल्यूलोज अच्छी मात्रा में होता है यह बल्क लैक्सटिव की श्रेणी में आता है इसके सेवन से आँतें स्वस्थ रहती हैं तथा कब्ज से राहत मिलती है।
2 से 3 चम्मच ईसबगोल की भूसी को अच्छे से गुनगुने पानी दूध में घोलकर रात को सोते समय सेवन करना चाहिये।

फिशर होने पर क्या करें? What to do in Fissure?

फिशर की आयुर्वेदिक चिकित्सा Ayurvedic treatment for fissure

यदि इन सब उपायों को अपनाने के बावजूद भी आपका फिशर व् दर्द  ठीक नहीं हो रहा है तो आपको अपने नजदीकी आयुर्वेद विशेषज्ञ चिकित्सक से अवश्य मिलना चाहिये। आपके डॉक्टर चेकअप के बाद उचित ट्रीटमेंट दे सकते हैं। 

सामान्य तौर पर फिशर महिलाओं को अधिक होता है महिलाएं शर्म व संकोच के कारण डॉक्टर को चेकअप कराने से झिझकती हैं तथा रोग को दबाए रहती हैं, जिससे कि परेशानी काफी बढ़ सकती है।  ऐसे में महिला चिकित्सक जो इन रोगों की विशेषज्ञ हो, से सलाह व चेकअप करवाना बेहतर होगा।  श्री धन्वंतरी क्लीनिक, गाजियाबाद में डॉ रेनू चौधरी महिला रोगियों के लिए उपलब्ध है आप उन से अपॉइंटमेंट लेकर चेकअप व ट्रीटमेंट करवा सकते हैं। 

**इस लेख को ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद। लेखक डॉ नवीन चौहान गुदा रोग क्षारसूत्र विशेषज्ञ सर्जन हैं व गुदा रोगियों की आयुर्वेद औषधियों व क्षारसूत्र द्वारा तथा जीर्ण रोगों की आयुर्वेद चिकित्सा पिछले 14 वर्षों से गाजियाबाद में कर रहे हैं। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है, या आप कोई जानकारी चाहते हैं तो आप हमारे व्हाट्सएप नंबर +91-9818069989 पर मैसेज कर सकते हैं या कॉल भी कर सकते हैं यदि आपके मन में कोई प्रश्न की आशंका है तो आप यहां कमेंट बॉक्स में अपनी शंका या प्रश्न पोस्ट कर सकते हैं। हमारे विशेषज्ञ उसका उचित जवाब देंगे।

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